Need to be mad

 

                      Need to be mad


वाक्यरचना सीखने के दमियान अचानक पागल होने की जरूरत कैसे पैदा हो गई, आपको समझा नही होगा. लेकिन जो बातें तुरंत नही समझ आती, वे देर से समझ आती है. इसलिये कोई बात समझ में न आए तो उसके बारे में चिंता करने की जरूरत नही है. चिंता करने से सवाल हल नही होते. इसलिए रू किये, चिंता मत कीजिए. थोडा सोचिए. उस दार्शनिक ने क्या कहा उस पर ध्यान दीजिए.

एक दार्शनिक था. एक बार एक पंद्रह साल का लड़का इस दार्शनिक के पास आया और कहने लगा ' मुझे अमीर होना है, क्या आप इस बारे मे मेरी सहायता कर सकेंगे?

दार्शनिक बोला ' हाँ, लेकिन अमीर होने की क्या तुम्हारी सचमुच इच्छा है? '

' बिल्कुल, इसलिये तो मै आपके पास आया हूँ'. लड़के ने जवाब दिया.

यह जवाब सुनकर शायद उस दार्शनिक को संतोष नही हुआ. इसलिये उस दार्शनिक ने फिर पूछा, ' क्या अमीर होने की तुम्हारी तीव्र इच्छा है?' वह लड़का फिर उत्साह से बोला,' बिल्कुल नही, नही तो मै आपके पास क्यो आता? '

दूसरी बार वही जवाब सुनकर भी वह दार्शनिक रुका नही. उसने फिर पूछा, ' अमीर होने की क्या तुम्हारी अत्यंत तीव्र इच्छा है?' वही जवाब तीसरी बार देने में कोताही न बरतते हुए लडका बोला, ' है ही, उसके बिना मेरे यहाँ आने का सवाल ही नही था'

इतना सुनने के बाद दार्शनिक बड़ी शांति से बोला, ' तो आओ, मेरे पीछे आओ' . फिर वह दार्शनिक आगे आगे और वह लड़का पीछे पीछे इस तरह वह दार्शनिक इस लड़के को एक नदी पर ले गया और उससे नदी के बीच में चलने के लिये कहा. और स्वयं भी उसके साथ नदी में गया.

जब वे नदी की बीच धार में पहुँचे तो उस दार्शनिक ने उस लड़के का सिर पकड़ कर उसे पानी में डुबो दिया. लड़के ने कोई विरोध नही किया. लेकिन पानी में कितनी देर रहना संभव था?कुछ ही सेकेंड में वह लड़का पानी के बाहर आने के लिये खड़ा होने लगा. लेकिन जैसे ही उस लड़के ने ऊपर आने की कोशिश शुरू की उस दार्शनिक ने उसका सिर कसकर पकड़ा और नीचे दबाना शुरू किया. वह लड़का ऊपर आने की कोशिश करता और वह दार्शनिक उसे ऊपर नही आने देता.

लेकिन ज्यादा देर नही लगी. यह दार्शनिक पूरी शक्ति लगाकर उसे दबा रहा था, फिर भी वह बाहर आए बिना नही रहा. वह बाहर आ ही गया.

फिर दार्शनिक उससे बोला,' आओ अब, मेरे पीछे आओ'. और वे दोनो निकले. लेकिन वह लड़का इस समय घबराया हुआ था. शायद उसे लग रहा हो कहाँ आकर फँस गया।

लेकिन इस बार वह दार्शनिक उस लड़के को सीधे अपने घर ले गया और बठैने के लिये कहा.

फिर बोला, ध्यान से सुनना, तुम्हे अमीर होना हो तो तुम निश्चय ही अमीर हो सकते हो क्योंकि मनुष्य ही अमीर होते है. और मै तुम्हारे मार्गदर्शन को तैयार हूँ तुम मेरे पास कल से आ सकते हो. लेकिन अभी मैंने पानी के नीचे तुमको डुबोया उस समय पानी के बाहर आने की इच्छा थी, उतना ही इच्छा अमीर होने की हो तभी आना. अन्यथा तुम्हारा आना निरर्थक होगा.और मेरे द्वारा किये गये मार्गदर्शन का कोई अर्थ नही रहेगा.

इतना सुनकर लड़का वहाँ से निकल गया. बाद में वह दार्शनिक के पास आया या नही अथवा अमीर हुआ या नही यह मुझे मालूम नही. लेकिन अमीर होने के लिये अथवा कोई भी चीज हासिल करने के लिये सिर्फ इच्छा ही नही जरूरत है तीव इच्छा की.

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